जब इस दुर्दांत का खात्मा हुआ तब यूपी और बिहार की पुलिस ने एक साथ राहत की सांस ली थी। कहा जाता है कि एक वक्त ऐसा था जब गंडक नदी के तट पर बसे बिहार औऱ यूपी के इलाकों में इस कुख्यात के नाम का सिक्का चलता था। हम बात कर रहे हैं बिहार के सबसे बड़े डकैत कहे जाने वाले रूदल यादव की। पश्चिम चंपारण जिले के धनाहां थाना क्षेत्र के बगहवा टांड गांव के रहने वाले रूदल यादव के सिर पर 80 के दशक में 25,000 रुपए का इनाम रखा गया था।
बगहा जिले की पुलिस को 2 दर्जन से ज्यादा गंभीर आपराधिक मामलों में रूदल यादव की तलाश थी। रूदल यादव किडनैपिंग, हत्या और रंगदारी मांगने जैसे संगीन जुर्म का बेताज बादशाह कहा जाता था। रूदल यादव के बारे में बताया जाता है कि जब पुलिस ने उसपर दबाव बढ़ा दिया था जब वो नेपाल के सीमावर्ती इलाके के एक जिले नवल परासी में जाकर छिप गया था। नेपाल में उसने दूसरी शादी भी की थी।
बताया जाता है कि रूदल यादव के परिवार के लगभग सभी सदस्य अपराध में संलिप्त थे। रूदल यादव के पिता मुंशी यादव बगहा जेल में बंद रहे। रूदल के चार चाचा- राधे यादव, चुनमुन यादव, बाली यादव औऱ रघुनाथ यादव के नाम भी कई संगीन जुर्म दर्ज हैं। बताया जाता है कि रूदल के परिवार के कई अन्य सदस्य भी अपराध में संलिप्त रहे हैं। एक गंभीर बात यह भी है कि रुदल के ज्यादातर रिश्तेदार पकड़े जाने के डर से नेपाल भाग गए औऱ इनमें से कई वहीं सेटल भी हो गये हैं।
3 जून 1983 की रात जोगापट्टी इलाके में बिहार पुलिस ने रूदल गैंग को घेर लिया। इस रात रूदल और पुलिस के बीच भारी गोलीबारी हुई थी। हालांकि इस रात रूदल किसी तरह बच गया और जिस खेत में यह एनकाउंटर चल रहा ता उसी के नजदीक स्थित एक घर में जाकर छिप गया। लेकिन अगले दिन 4 जून को पुलिस ने इस दुर्दांत अपराधी को घेर कर मार डाला। कहा जाता है कि उस रात पुलिस ने पहली बार किसी एनकाउंटर में हैंड ग्रेनेड का इस्तेमाल किया था।
