राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले में एक गांव है धनासर। बरसों पहले जब कभी गांव में किसी कलेक्टर की गाड़ी गुजरती थी तब बच्चे गाड़ी के पीछे-पीछे दौड़ते थे। इस दौरान एक किसान मोहन लाल सोनी अपने बेटे जितेंद्र कुमार सोनी को कहा करते थें कि ‘देख बेटा एक दिन तू भी बनेगा कलेक्टर…’ जितेंद्र ने अपने पिता के सपने को पूरा कर दिया और गरीबी की तमाम बाधाओं को पार कर आईएएस अफसर बने। जितेंद्र कुमार सोनी की गिनती एक ऐसे प्रतिभाशाली आईएएस अफसर के तौर पर होती है जिन्होंने समाज के हित के लिए कई लाभकारी काम किये।
साल 2011 में जितेंद्र कुमार सोनी को प्रोबेशनरी अफसर के तौर पर राजस्थान के पाली में पोस्टिंग मिली थी। यहां उन्होंने अपना पहला सोशल वेलफेयर प्रोजेक्टर ‘स्कूल ऑन व्हील्स’ की शुरुआत की। इसे विद्यावाहिनी का नाम दिया गया था। इस प्रोजेक्ट के तहत बसों में प्रोजेक्टर्स लगाये गये जिनपर शैक्षणिक गतिविधियों से जुड़े ऑडियो और वीडियो सामग्री चलाये जाते हैं। इतना ही नहीं इस पहल के तहत जिला अधिकारी और उनके वॉलेन्टियर्स शाम को झुग्गी-झोपड़ियों में जाकर बच्चों को 2 घंटे तक पढ़ाते हैं।
माउंट आबू में पोस्टिंग के दौरान जितेंद्र कुमार सोनी ने पर्यटन को बढ़ावा देने की दिशा में बेहतरीन काम किया था। जालौर के कलेक्टर के तौर पर तैनाती के दौरान उन्होंने चरण पादुका अभियान की शुरुआत की थी। अफसर के इस अभियान को आम लोगों का भी जमकर सपोर्ट मिला। इस अभियान के तहत स्कूल जाने वाले बच्चों को मुफ्त में जूते-चप्पल दिये गये। इस अभियान से लाखों बच्चों को फायदा पहुंचा था।
जालोर में बाढ़ के दौरान उन्होंने अपनी जान दांव पर लगाकर 8 लोगों की जान बचाई थी। इसके लिए उन्हें उत्तम जीवन रक्षा पदक से नवाज़ा भी जा चुका है।27 जुलाई 2016 को जब जालोर का एक इलाका बाढ़ की चपेट में आया तो जितेंद्र और उनकी टीम को आठ लोगों के फंसे होने की सूचना मिली। उन लोगों को बचाने का उनका पहला प्रयास असफल रहा क्योंकि खतरा बहुत अधिक था।
झालावाड़ में भी जब वह कलेक्टर के पद पर कार्यरत थे तो उन्होंने दुर्लभ ब्लड ग्रुप O निगेटिव के लोगों को एक प्लेटफार्म पर लाने के लिए भी पहल की थी। ताकि वे समय रहते ज़रूरतमंद लोगों की मदद कर पायें। उनकी यह पहल कभी सिर्फ व्हाट्सअप पर शुरू हुई थी लेकिन आज यह ‘रक्तकोष’ नामक एप्लीकेशन बन चुकी है। इस एप्लीकेशन के ज़रिए 24×7 लोगों की मदद की जा रही है।
