इस लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने सपा-बसपा-आरएलडी गठबंधन को बड़ा नुकसान पहुंचाया। शायद इसी वजह से महागठबंधन महज 15 सीटों पर ही सिमट गया। राज्य में करीब 8 सीटों पर कांग्रेस ने परोक्ष रूप से भाजपा की जीतने में मदद की।

सूबे की बदायूं, बांदा, बाराबंकी, बस्ती, धरौहरा, मेरठ, संत कबीर नगर और सुल्तानपुर सीटों पर भाजपा की जीत का अंतर कांग्रेस को मिले वोटों से कम रहा। इसके अलावा मछलीशहर ऐसी सीट रही जहां भाजपा की जीत का अंतर जनअधिकार पार्टी के उम्मीदवार से कम रहा।

जन अधिकारी पार्टी ने चुनाव से पहले कांग्रेस के साथ गठबंधन किया था। वहीं, सीतापुर में भाजपा उम्मीदवार ने करीब एक लाख मतों से जीत हासिल की। यहां कांग्रेस के उम्मीदवार को 96018 वोट पड़े। इससे महागठबंधन के उम्मीदवार को भारी झटका लगा। प्रदेश में कांग्रेस ने खुद को सपा और बसपा के गठबंधन से बाहर रखने का फैसला किया था।

कुछ विश्लेषकों का मानना था कि कांग्रेस के अलग लड़ने से अगड़े वर्ग के वोटों में बंटवारा होगा, जो पारंपरिक रूप से भाजपा के पक्ष में मतदान करते हैं लेकिन चुनाव परिणाम के बाद ऐसा नहीं दिखा। कांग्रेस अमेठी, कानपुर और फतेहपुर सीकरी में तीसरे स्थान पर रही। अमेठी में खुद कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, कानपुर से श्री प्रकाश जायसवाल और फतेहपुर सीकरी से प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राज बब्बर खुद मैदान में थे।

दूसरी तरफ महागठबंधन के सहयोगी राष्ट्रीय लोकदल को इस चुनाव में बड़ा झटका लगा। लोकदल के मुखिया अजित सिंह और उनके बेटे जयंत चौधरी दोनों इस बार चुनाव हार गए।

भाजपा को मिले 49.6 फीसदी वोटः इस चुनाव में भाजपा के वोट प्रतिशत में बढ़ोतरी हुई है। पार्टी को इस बार 49.6 फीसदी मत मिले। 2014 में सूबे में 70 से अधिक सीटे जीतने वाली पार्टी को 42.3 फीसदी मत मिले थे। वहीं, समाजवादी पार्टी का वोट शेयर 22.2 फीसदी से घटकर 18 फीसदी हो गया। वहीं बहुजन समाज पार्टी के वोट शेयर में मामूली रूप से कमी हुई। मायावती का वोट शेयर 19.6 से घटकर 19.3 फीसदी हो गया।