सूरमा भोपाली का नाम आज पहचान का मोहताज नहीं है। कॉमेडी पर इनकी लोग खूब खिलखिलाते हैं। जब यह अपने पंच मारते हैं, तो बोलने का लहजा सुन कर टेंस इंसान के चेहरे पर मुस्कान आ जाती है। लेकिन क्या आपको पता है कि यह स्टाइल इन्होंने सीखा कहां से।
दरअसल, सूरमा इनका असल नाम नहीं है। 400 से अधिक फिल्में करने वाला यह कलाकार सैयद इश्तियाक अहमद जाफरी है। उनका यह नाम कैसे पड़ा और कहां से उन्होंने अपने कॉमेडी के स्टाइल को डेवलप किया। इस बारे में उन्होंने एक इंटरव्यू में बताया था। वह जिस लहजे में बात करते थे या कॉमेडी के पंच मारते थे, वैसे भोपाल की महिलाएं बात करती थीं। जगदीप ने उसे बुलंदियों पर पहुंचाया, पहचान दिलाई।
तबस्सुम से हुई बातचीत में उन्होंने इसके पीछे पुराना वाकया बताया। बोले- यह बात ‘सरहदी लुटेरा’ फिल्म के आसपास की है। वह उसमें बतौर कॉमेडियन थे। फिल्म के डायलॉग बेहद लंबे थे, जिसे लेकर उन्होंने डायरेक्टर सागर से कहा। वह बोले सलीम (सलीम-जावेद) के साथ बैठकर देख लो।
जगदीप इसके बाद सलीम के पास पहुंचे। लंबे डायलॉग को पांच लाइन का करने में उन्हें पल भर का समय लगा। उसी शाम वे दोनों साथ बैठे। शेरो-शायरी का दौर चला। बातचीत के बीच उन्होंने खास लहजे का इस्तेमाल किया। जगदीप को उनका बोलने का अंदाज इंप्रेस कर गया था। जब इस बारे में उन्होंने पूछा, तो सलीम ने बताया कि यह भोपाल की महिलाओं के बात करने का लहजा है, जिसके बाद जगदीप ने इसे सीखा था।

