भारत ने 12 फरवरी को बेंगलुरू के एम चिन्नास्वामी स्टेडियम में खेले गए ब्लाइंड टी20 क्रिकेट वर्ल्ड कप के दूसरे संस्करण के फाइनल मुकाबले में चिर प्रतिद्वंदी पाकिस्तान को 9 विकेट से हराकर लगातार दूसरी बार खिताब अपने नाम कर लिया। पांच साल पहले भी भारत की दृष्टिबाधित क्रिकेट टीम ने बेंगलुरू में ही इस खिताब पर कब्जा जमाया था। पाकिस्तान द्वारा दिए गए 198 रनों के विशाल लक्ष्य को भारत ने 14 गेंद शेष रहते मात्र एक विकेट गवांकर हासिल कर लिया। भारत की ओर से प्रकाश जयरमैया ने नाबाद 99 रनों की पारी खेली। यह खबर पढ़ते हुए क्या आपके मन में ये ख्याल आ रहा है कि आखिर आंखों से ना देख पाने के बावजूद ये खिलाड़ी कैसे क्रिकेट खेलते हैं? क्या दृष्टिबाधित खिलाड़ियों के लिए भी क्रिकेट के नियम वैसे ही होते हैं जैसे सामान्य खिलाड़ियों के लिए होते हैं? हम आपके ऐसे ही सवालों का जवाब आपको बता रहे हैं…
विकेट,बाउंड्री और क्रिकेट किट: दरअसल, ब्लाइंड क्रिकेट में पिच की लंबाई, स्टंप और बैट की लेंथ वही होती है जो सामान्य क्रिकेट में होती है। पिच के सेंटर से बाउंड्री लाइन की दूरी 45 से 50 गज होती है।
गेंद: दृष्टिबाधित क्रिकेट में जिस गेंद का प्रयोग होता है वो प्लास्टिक से बनी होती है और उसके अंदर बॉल बियरिंग लगे होते हैं, जिनसे आवाज निकलती है। आवाज सुनकर बल्लेबाज यह अनुमान लगाता है कि बॉल कहा पिच हुई है और किस तरफ मूव कर रही है।
खिलाड़ियों की संख्या: दृष्टिबाधित क्रिकेट टीम में भी सामान्य क्रिकेट टीम की तरह 11 खिलाड़ी खेलते हैं। लेकिन, दृष्टिबाधित क्रिकेट में प्लेयर्स को तीन कैटेगरी में बांटा गया होता है। बी1 कैटेगरी में अधिकतम चार ऐसे खिलाड़ी होते हैं जो पूरी तरह से देख पाने में अक्षम होते हैं। बी2 कैटेगरी में 3 प्लेयर्स होते हैं जो आंशिक रूप से दृष्टिबाधित होते हैं। वहीं बी3 कैटेगरी में ऐसे 4 खिलाड़ी शामिल होते हैं जिनकी देखने की क्षमता आंशिक रूप से दृष्टिबाधित प्लेयर्स से और बेहतर होती है और वे कुछ दूरी पर स्थित आॅब्जेक्ट को देख सकने में सक्षम होते हैं।
गेंदबाजी: दृष्टिबाधित क्रिकेट में गेंदबाजी अंडरआॅर्म की जाती है। यार्कर और फुलटास गेंद डालने की सख्त मनाही होती है। विकेट पर एक लाइन बनी होती है और गेंदबाज उस लाइन के आगे गेंद को टप्पा नहीं खिला सकता। यदि ऐसा होता है तो गेंद को नो बॉल करार दिया जाता है। पारी का 40 प्रतिशत ओवर बी1 कैटेगरी के खिलाड़ियों यानी पूर्ण रूप से दृष्टिबाधित खिलाड़ियों द्वारा फेंका जाना अनिवार्य होता है।
बल्लेबाजी: पूर्ण रूप से दृष्टिबाधित प्लेयर्स द्वारा बनाए गए रन को दोगुना कर दिया जाता है। यानी यदि वह 1 रन बनाता है तो उसे दो रन लिखा जाता है। इसके आलावा दृष्टिबाधित क्रिकेट में भी सामान्य क्रिकेट की तरह ही स्कोरिंग नियम लागू होते हैं। नो बॉल होने पर बल्लेबाज को फ्री हिट दिया जाता है। आउट होने के नियम वही होते हैं जो सामान्य क्रिकेट में होते हैं।
क्षेत्ररक्षण: फील्डिंग में यदि पूर्ण रूप से दृष्टिबाधित प्लेयर एक टप्पे के बाद गेंद को पकड़ लेता है तो इसे कैच आउट माना जाता है।

