कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि भारत के एक टॉप क्रिकेट अधिकारी ने इंग्लैंड क्रिकेट बोर्ड (ECB) अध्यक्ष जाइल्स क्लार्क को फोन कर दौरा रद करने को कहा था। सूत्रों के हवाले से डीएनए ने लिखा है कि 2 जनवरी को बीसीआई पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अधिकारी ने ऐसा किया। 18 जुलाई को दिए आदेश पर अमल न करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने बीसीसीआई अध्यक्ष अनुराग ठाकुर और सचिव अजय शिर्के को पद से हटा दिया था। रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि इनमें से एक ने क्लार्क से बात की और उन्हें ‘एकदिवसीय और टी-20 सीरीज के लिए अंग्रेजी टीम को वापस भारत भेजने से मना’ करने की कोशिश की। बताया जा रहा है कि इस बातचीत की जानकारी जस्टिस आरएम लोढ़ा आयोग को दी गई है। यह वाकया ऐसे समय पर प्रकाश में आया है जब बोर्ड अधिकारी यह कह रहे हैं कि ‘राज्य एसोसिएशनें किसी न किसी वजह से भारत-इंग्लैंड सीरीज होस्ट कराने से मना कर सकते हैं।’
जस्टिस लोढ़ा पैनल के सचिव गोपाल शंकरनारायणन ने डीएनए से कहा, ”मुझे लगता है कि अब साफ है कि कौन क्रिकेट के हितों के लिए काम कर रहा है। अब जब उनके पास सत्ता नहीं है तो वे खेलों में हस्तक्षेप कर रहे हैं, सेलेक्टर्स को फोन कर रहे हैं, विपक्षी टीमों को भारत आने से रोक रहे हैं, यह सब खलबली के सबूत हैं।” उच्चतम न्यायालय ने 18 जुलाई 2015 को लोढ़ा समिति की सिफारिशों को अनिवार्य बनाने का आदेश दिया था जिसे बोर्ड लागू करने में विफल रहा जिसके बाद शीर्ष अदालत ने ठाकुर और बीसीसीआई सचिव अजय शिर्के को बाहर का रास्ता दिखा दिया।
बीसीसीआई अध्यक्ष के रूप में बर्खास्त किए गए अनुराग ठाकुर ने उच्चतम न्यायालय के आदेश पर कहा था कि अगर शीर्ष अदालत को लगता है कि क्रिकेट बोर्ड सेवानिवृत्त न्यायाधीशों के मार्गदर्शन में अच्छा करेगा तो वे उन्हें शुभकामनाएं देती हैं।
ठाकुर ने कहा, ‘मेरे लिए यह निजी जंग नहीं थी, यह खेल संस्था की स्वायत्ता की लड़ाई थी। मैं उच्चतम न्यायालय का उतना की सम्मान करता हूं जितना किसी नागरिक को करना चाहिए। अगर उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों को लगता है कि बीसीसीआई सेवानिवृत्त न्यायाधीशों के नेतृत्व में बेहतर कर सकता है तो मैं उन्हें शुभकामनाएं देता हूं। मुझे यकीन है कि भारतीय क्रिकेट उनके मार्गदर्शन में अच्छा करेगा।’

