भारत को ओलंपिक में दो बार मेडल दिलाने वाला दिग्गज रेसलर सुशील कुमार अब सलाखों के पीछे हैं। तिरंगा फहराने वाला अब अपना चेहरा छिपाते हुए नजर आता है। रेलवे ने नौकरी से सस्पेंड कर दिया है तो केंद्र सरकार खेल रत्न सहित कई पुरस्कारों को वापस लेने के बारे में विचार कर रही है। एक घटना ने सुशील को अर्श से फर्श पर गिरा दिया है। सुशील को जब ये पता चला कि पहलवान रेसलर सागर राणा की मौत हो चुकी है तो वह सबसे हरिद्वार भागे थे। वहां उन्होंने एक बाबा से मदद मांगी थी।

छत्रसाल स्टेडियम में 23 साल के पहलवान की मौत के बाद सुशील फरार हो गए थे। उन्होंने 4-5 मई की रात को सागर के साथ मार-पीट की थी। उसका वीडियो भी बनाया था। बाद में सागर की मौत अस्पताल में हो गई थी। जब ये बात सुशील को मालूम हुई तो वे घबरा गए। वरिष्ठ पत्रकार शम्स ताहिर खान ने ‘क्राइम तक’ यूट्यूब चैनल में बताया कि सुशील मामले में फंसने के बाद सीधे हरिद्वार गए थे। वहां उन्होंने एक ‘बड़े बाबा ’से मदद मांगी थी। बाबा की पहुंच सरकार में अच्छी है। सुशील को उम्मीद थी कि बाबा किसी तरह उन्हें बचा लेंगे। इस इंतजार में वे हरिद्वार से ऋषिकेश चले गए।

सुशील इस इंतजार में थे कि बाबा ऊपर (सरकार में) किसी से बात करेंगे और उन्हें बचा लेंगे। हालांकि, ऐसा नहीं हुआ। सुशील को निराशा हाथ लगी। वे ऋषिकेश से दिल्ली वापस लौट गए। हरिद्वार में बात नहीं बनने से सुशील काफी निराश होते हैं। उन्हें कुछ समझ नहीं आता। ओलंपिक में बड़े-बड़े पहलवानों को पटखनी दे चुका रेसलर बुरी तरह फंस चुका था। सुशील दिल्ली से बहादुरगढ़, चंडीगढ़ और बठिंडा भागते हैं। फिर वापस लौटकर दिल्ली ही आते हैं और वहां मुंडका में स्पेशल सेल उन्हें गिरफ्तार कर लेती है।

सुशील ने पुलिस के सामने झगड़े और सागर के साथ मनमुटाव की बात स्वीकार कर ली है। उनका कहना है कि यह सिर्फ धमकाने और धौंस जमाने के लिए था, लेकिन जोश-जोश में हाथ उठा दिया गया। जान से मारना उनका लक्ष्य नहीं था। गोली सिर्फ डराने के लिए चलाई गई थी। अगर सुशील के खिलाफ 302 की धारा कायम रही तो उम्रकैद की सजा हो सकती है। इस धारा में फांसी भी दी जाती है। सुशील चाहते हैं कि उनपर गैर-इरादतन हत्या का केस चले ताकि सजा कम हो सके।