2012 दिल्ली गैंगरेप और हत्या के मामले में अंतत: सभी चार आरोपियों को फांसी पर लटका दिया गया। सामुहिक दुष्कर्म और हत्याकांड के चारों दोषियों अक्षय, मुकेश, पवन को तिहाड़ जेल में फांसी दी गई। फांसी टलने से पहले डेथ वारंट तीन बार टाला जा चुका था। लेकिन, अंतत: शुक्रवार को चारों दोषियों को शुक्रवार (20 मार्च, 2020) को सुबह फांसी दे दी गई।आइए जानते हैं इस घटनाक्रम में कब क्या हुआ।

17 दिसंबर को घटना रेप की घिनौनी घटना सामने आई जिसके बाद पुलिस ने तफ्तीश कर 26 दिसंबर 2012 को आरोपियों की अलग-अलग जगहों पर गिरफ्तारी की। इसके बाद दोषियों को सजा दिलाने की प्रक्रिया शुरू हुई। इस बीच रेप के दौरान दोषियों की हिंसा के चलते पीड़िता की हालत बिगड़ने लगी। 26 दिसंबर 2012 को पीड़िता को इलाज के लिए सिंगापुर भेजा गया। जिंदगी और मौत के बीच झूल रही पीड़िता ने 29 जनवरी 2013 को दुनिया को अलविदा कह दिया।

साल 2013 की 2 जनवरी को तात्कालीन CJI अल्तमस कबीर ने फास्ट ट्रैक कोर्ट का गठन किया और पांच आरोपियों के खिलाफ सामुहिक दुष्कर्म, अपहरण, डकैती के मामले में चार्जशीट दाखिल हुई।सुनवाई के दौरान पवन को नाबालिग माना। इस दौरान उसके खिलाफ भी आरोप तय हुए। पांचों आरोपियों में से एक रामसिंह ने 11 मार्च को जेल में फांसी लगा ली। इसके बाद अगस्त 2013 में जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड ने नाबालिग को तीन साल की सजा सुनाई।

इसके बाद 10 सितंबर2013 को अदालत ने मुकेश, विनय, अक्षय और पवन को सामूहिक बलात्कार, अप्राकृतिक यौनाचार और लड़की की हत्या और उसके दोस्त की हत्या के प्रयास सहित 13 अपराधों में दोषी करार दिया।

13 सितंबर 2013 को अदालत ने चारों अपराधियों को मौत की सजा सुनाई। मामला आगे बढ़ा और 23 सितंबर को उच्च न्यायालय ने निचली अदालत द्वारा अपराधियों को मौत की सजा दिए जाने के फैसले के खिलाफ अपील पर सुनवाई शुरू की। साल बीता और फैसले की घड़ी भी। तीन जनवरी 2014 को उच्च न्यायालय ने अपराधियों की याचिकाओं पर फैसला सुरक्षित कर लिया।

मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा और 15 मार्च  2014 को दो अभियुक्तों मुकेश और पवन की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सजा पर रोक लगा दी जिसके बाद सभी अभियुक्तों की सजा पर  भी रोक लगा दी गई। 27 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने दोषियों की याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया। इसके बाद कोर्ट ने पांच मई को सुनवाई के दौरान चारों दोषियों को मौत की सजा बरकरार रखी। इस मामले के दौरान 2015 में नाबालिग को सुधार गृह से रिहा कर दिया गया। वहीं साल 2017 में अभियुक्तों की मौत की सजा पर फिर से सुनवाई शुरू की।

साल 2018 में  अभियुक्तों विनय शर्मा और पवन गुप्ता की पुनर्विचार याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने याचिका सुरक्षित रखी। इसके बाद साल 2019 में 10 दिसंबर को चौथे अभियुक्त अक्षय ने सुप्रीम कोर्ट में अपनी मौत की सजा के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दाखिल की। जिसका पीड़िता की मां ने विरोध किया। जिसके बाद कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी। साल 2020 में  दिल्ली की एक अदालत ने पवन के पिता की उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें घटना के एकमात्र चश्मदीद के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने की मांग की गयी थी।

इसके बाद दिल्ली की अदालत ने चारों दोषियों को 22 जनवरी को सुबह सात बजे तिहाड़ जेल में फांसी देने का आदेश दिया। इसके बाद को  दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने चारों दोषियों के खिलाफ नया डेथ वारंट जारी किया और चारों दोषियों को 3 मार्च की सुबह छह बजे फांसी देने का आदेश दिया।

इसके बाद  पवन की तरफ से  क्यूरेटिव पिटिशन दायर की गई जिसे बेंच ने खारिज कर दिया। इसमें पवन ने फांसी को उम्रकैद में बदलने की मांग की थी। पांच मार्च को पवन की दया याचिका राष्ट्रपति ने खारिज की और कोर्ट ने आदेश दिए की सभी दोषियों को 20 मार्च को सुबह 5.30 बजे फांसी दी जाए।

इन सब प्रक्रियाओं के इतर अदालत ने दोषियों के डेथ वारंट को तीन बार इस आधार पर टाल दिया था कि दोषियों के सभी कानूनी विकल्प समाप्त नहीं हुए हैं और एक या अन्य दोषियों की दया याचिका राष्ट्रपति के पास लंबित थी। लेकिन अंतत: पीड़िता को इंसाफ मिला और दोषियों को फांस के तख्ते पर लटका दिया गया।