Madhya Pradesh Government Crisis Latest News, Madhya Pradesh Government Formation Today News Updates: मध्य प्रदेश में बीजेपी विधायक दल की बैठक सोमवार को हो सकती है। कहा जा रहा है कि इसी बैठक के बाद विधायक दल के नेता सूबे में सरकार बनाने का दावा पेश करेंगे। हालांकि, पहले यह बैठक शनिवार को होनी थी। पर कोरोना के मद्देनजर इसकी तारीख आगे बढ़ा दी गई।
सूत्रों के हवाले से कुछ रिपोर्ट्स में दावा किया गया कि अगर सब कुछ ठीक रहा, तो 25 मार्च को नई सरकार का शपथ ग्रहण हो सकता है। इसी के साथ 26 मार्च को होने वाले राज्यसभा चुनाव में भी भाजपा बड़ा फायदा उठा सकती है।
इसी बीच, मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता शिवराज सिंह चौहान ने शनिवार को दावा किया है कि सरकार (कांग्रेस) बहुमत खो चुकी है। ऐसे में कोई महत्वपूर्ण नीतिगत फैसला लेने का अधिकार विधानसभा अध्यक्ष को नहीं है। पर वे लगातार दबाव डाल रहे हैं कि शरद कोल का इस्तीफा स्वीकार किया जाए। यह पक्षपातपूर्ण है।
बकौल शिवराज, “शनिवार को राज्यपाल से हमने प्रार्थना की है कि ऐसी स्थिति में वो हस्तक्षेप करें और विधानसभा अध्यक्ष को इस तरह के गलत निर्णय, जिनको लेने का अधिकार उनको नहीं है, उनको रोकें।”
मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री कमलनाथ के इस्तीफे के बाद राज्य की राज्यसभा सीटों का गणित काफी हद तक साफ हो गया है। ज्योतिरादित्य सिंधिया के इस्तीफे से सिर्फ कमलनाथ सरकार ही नहीं गिरी है, बल्कि उनके 22 करीबी विधायकों के इस्तीफे की वजह से कांग्रेस राज्यसभा में तीन में से दो सीटें भी गंवा सकती है। पढ़ें पूरी खबर...
मध्यप्रदेश भाजपा का एक प्रतिनिधिमंडल शनिवार शाम को राज्यपाल लालजी टंडन से मिला और आरोप लगाया कि विधानसभा सचिवालय पर भाजपा के एक विधायक का त्यागपत्र मंजूर करने के लिए दबाव डाला जा रहा है। भाजपा प्रतिनिधिमंडल ने पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज ंिसह चौहान के नेतृत्व में राज्यपाल से मुलाकात की और इस संबंध में ज्ञापन सौंपा।
चौहान ने राज्यपाल से मुलाकात के बाद संवाददाताओं से कहा, ‘‘भाजपा विधायक शरद कोल :ब्योहारी: ने हमारे साथ राज्यपाल से मुलाकात की और उन्हें बताया कि उनका त्यागपत्र स्वीकृत करने से पहले उन्होंने इसे वापस लेने का आवेदन भी दे दिया था।’’ उन्होंने कहा, ‘‘अब हमें जानकारी मिली है कि स्पीकर विधानसभा सचिवालय पर कोल का त्यागपत्र स्वीकार करने के लिए दबाव बना रहे हैं।’’ चौहान ने कहा कि हमने राज्यपाल से इस मामले में हस्तक्षेप की मांग की है।
आज मध्य प्रदेश में सियासी संकट के बीच शनिवार को Congress के 22 बागी विधायक BJP में शामिल हो गए। ये वही विधायक हैं, जिनके इस्तीफों के बाद मुख्यमंत्री कमलनाथ के नेतृत्व वाली INC सरकार गिर गई थी। यह जानकारी शाम को भाजपा महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने पत्रकारों को दी।
इसी बीच, BJP के ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा है कि हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा की दुआओं के साथ 22 विधायकों ने आज बीजेपी ज्वॉइन कर ली है। इन सभी को टिकट दिए जाएंगे। उन्होंने (नड्डा) हम सब को बढ़ावा दिया है और सुनिश्चित किया है कि हर किसी का सम्मान बरकरार रहे।
दरअसल, सीएम कमलनाथ ने शुक्रवार को राज्यपाल लालजी टंडन को अपना इस्तीफा सौंप दिया। कमलनाथ ने कहा कि भाजपा पहले दिन से उनकी सरकार के खिलाफ साजिश में जुटी थी। ऐसे में वे सरकार नहीं बचाएंगे। कमलनाथ के इस ऐलान के बावजूद कांग्रेस में मध्य प्रदेश के लिए उम्मीद जताई है।
पार्टी कार्यालय के बाहर लगे पोस्टर्स में कहा गया है कि उपचुनाव के बाद हम मध्य प्रदेश की सेवा के लिए तैयार हैं। इसी बीच, कांग्रेस के पूर्व बागी विधायक भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात के लिए उनके दिल्ली स्थित आवास पहुंचे। यहां ज्योतिरादित्य सिंधिया और कैलाश विजयवर्गीय ने भी उनसे मुलाकात की।
कांग्रेस के 22 विधायक 9 मार्च मध्य प्रदेश से कर्नाटक के रिसॉर्ट में चले गए थे। यहां से उन्होंने स्पीकर को इस्तीफे भेजे थे। सुप्रीम कोर्ट के दखल के बाद स्पीकर ने इनके इस्तीफे मंजूर कर लिए थे और प्रदेश की कांग्रेस सरकार का बहुमत चला गया था। मुख्यमंत्री कमलनाथ ने इसके बाद ही पद से इस्तीफा दे दिया था।
20 मार्च को मध्य प्रदेश कांग्रेस ने भी राज्य में दोबारा सरकार बनाने की उम्मीद जताई थी। पार्टी ने ट्वीट में लिखा था, "इस ट्वीट को सँभाल कर रखना- 15 अगस्त 2020 को कमलनाथ जी मप्र के मुख्यमंत्री के तौर पर ध्वजारोहण करेंगे और परेड की सलामी लेंगे। ये बेहद अल्प विश्राम है।"
इसी बीच कांग्रेस के पूर्व बागी विधायक भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात के लिए उनके दिल्ली स्थित आवास पहुंचे। यहां ज्योतिरादित्य सिंधिया और कैलाश विजयवर्गीय ने भी उनसे मुलाकात की। गौरतलब है कि कांग्रेस के 22 विधायकों ने कमलनाथ सरकार को इस्तीफे भेज दिए थे। इसके बाद मध्य प्रदेश विधानसभा में फ्लोर टेस्ट से पहले ही मुख्यमंत्री कमलनाथ ने पद से इस्तीफा दे दिया था।
मध्य प्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष जीतू पटवारी ने भी राज्य में सरकार के लौटने के संकेत देते हुए ट्विटर पर कहा, "हम सभी को मिलकर सकारात्मकता के साथ कांग्रेस की यह लड़ाई लड़ना है और कांग्रेस के एक-एक कार्यकर्ता के सम्मान एवं स्वाभिमान को वापस लाना है। यह एक बेहद अल्प विश्राम है।
कमलनाथ सरकार के गिरने पर समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव ने भी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, "मध्यप्रदेश में भाजपा ने लोकतंत्र की हत्या की है।"
इसी बीच स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि भाजपा विधायक दल की बैठक आज (21 मार्च) को हो सकती है। इसमें केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के पर्यवेक्षक के तौर पर शामिल होने की चर्चा है। माना जा रहा है कि इसी बैठक में मुख्यमंत्री का चुनाव हो जाएगा। इसके बाद 25 मार्च को भाजपा राज्यपाल के सामने सरकार बनाने का दावा पेश कर सकती है।
मध्य प्रदेश के बागी विधायक सुरेश धाकड़ की बेटी राजस्थान के बारन जिले में शुक्रवार को मृत पायी गई। पुलिस के अनुसार, परिजनों ने मृतका के पति और अन्य रिश्तेदारों पर दहेज हत्या का आरोप लगाया है। नरेश धाकड़ भी उन 22 विधायकों में शामिल हैं, जिन्होंने कमलनाथ सरकार के खिलाफ बगावत का बिगुल फूंक दिया था। इसके चलते कमलनाथ सरकार गिर गई थी। इस घटना के बाद नरेश चार्टर्ड विमान से बेंगलुरु छोड़कर बारन निकल गए। पूरी खबर पढ़ें...
भाजपा नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया के कांग्रेस छोड़ने से पहले कर्नाटक पहुंचे विधायकों ने कमलनाथ के इस्तीफे के बाद आखिरकार बेंगलुरु का रिसॉर्ट छोड़ दिया। इन 22 विधायकों ने कमलनाथ सरकार से इस्तीफा दे दिया था, जिसके बाद कांग्रेस मध्य प्रदेश में अल्पमत में आ गई।
कमलनाथ के इस्तीफे के बावजूद मध्य प्रदेश कांग्रेस ने राज्य में दोबारा सरकार बनने की उम्मीद जताई है। एमपी कांग्रेस ने शुक्रवार को ट्विटर पर कहा था, "इस ट्वीट को सँभाल कर रखना- 15 अगस्त 2020 को कमलनाथ जी मप्र के मुख्यमंत्री के तौर पर ध्वजारोहण करेंगे और परेड की सलामी लेंगे।"
कमलनाथ के इस्तीफे से जुड़े घटनाक्रम के बाद कांग्रेस आलाकमान की कार्यशैली सवालों के घेरे में हैं। कांग्रेस पार्टी के नेता ही पार्टी आलाकमान द्वारा मध्य प्रदेश मामले पर अपेक्षित ध्यान ना दिए जाने पर नाराज हैं। कांग्रेस के कई नेताओं का आरोप है कि पार्टी नेतृत्व द्वारा सरकार बचाने के लिए आक्रामक रुख नहीं अपनाया गया।
मध्य प्रदेश में छाए सियासी संकट के दौरान कांग्रेस द्वारा अपने वरिष्ठ नेताओं जैसे गुलाम नबी आजाद, एके एंटनी और अहमद पटेल को भोपाल क्यों नहीं भेजा गया? क्या मध्य प्रदेश के हालात को लेकर दिल्ली में पार्टी नेताओं की कोई बैठक हुई?
जब द इंडियन एक्सप्रेस ने कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता से ये सवाल पूछे तो उन्होंने कहा कि "केन्द्रीय नेतृत्व की सोच थी कि दो दिग्गज नेता वहां हैं और वो स्थिति को नियंत्रित कर लेंगे। मुझे इस बात की कोई जानकारी नहीं है कि दिल्ली में इसे लेकर कोई मीटिंग हुई।"
कमलनाथ ने कहा, ‘‘किस प्रकार करोड़ों रुपये खर्च कर प्रलोभन का खेल खेला गया जनता द्वारा नकारे गए एक तथाकथित महत्वाकांक्षी, सत्तालोलुप ‘महाराज’ (ज्योतिरादित्य सिंधिया) और उनके द्वारा प्रोत्साहित 22 लोभियों के साथ मिलकर भाजपा ने खेल रच लोकतांत्रिक मूल्यों की हत्या की। इसकी सच्चाई थोड़े ही समय में सभी के सामने आएगी।’’
मुख्यमंत्री पद से कमलनाथ के इस्तीफे के बाद भाजपा में सरकार बनाने के लिए चल रही सरगर्मी के बीच राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा शुरू हो गई है कि प्रदेश के अगला मुख्यमंत्री कौन होगा? सवाल उठ रहे हैं कि क्या भाजपा उत्तरप्रदेश, हरियाणा, उत्तराखंड एवं अन्य राज्यों की तर्ज पर किसी अप्रत्याशित चेहरे को मुख्यमंत्री बनाएगी या पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अथवा केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर जैसे दिग्गज नेताओं में से किसी एक को कमान सौंपेगी। भाजपा नेताओं का कहना है कि पार्टी आलाकमान ही इसका फैसला लेगी और बाद में विधायक दल की बैठक में मुख्यमंत्री के नाम पर मुहर लगेगी।