मुंबई की एक महिला ने टाटा मेमोरियल अस्पताल को वहां से महज 400 मीटर दूर की अपनी जमीन दान कर दी है। जमीन की कीमत 120 करोड़ रुपये बताई जा रही है। जमीन दान करने वाली महिला का नाम दीपिका मुंडले बताया गया है जिनके पास 30 हजार वर्गफुट की यह पुश्तैनी जमीन थी।

कैंसर सेंटर के विस्तार के लिए 18 अन्य लोगों ने भी अपनी जमीन को दान दिया है। गौरतलब है कि टाटा मेमोरियल अस्पताल भारत का सबसे बड़ा कैंसर अस्पताल है। टाटा मेमोरियल अस्पताल में देश के लगभग एक तिहाई कैंसर रोगियों का इलाज किया जाता है। यहां पर 60 फीसदी मरीजों का मुफ्त इलाज किया जाता है। मुंबई के परेल इलाके में स्थित इस अस्पताल का निर्माण साल 1941 में हुआ था।

टाटा ग्रुप के फाउंडर जमशेदजी टाटा अपने निधन के 117 वर्षों के बाद भी दुनिया के सबसे बड़े दानवीर के रूप में जाने जाते हैं। हुरुन रिसर्च एडेलगिव फाउंडेशन की सूची में वह शीर्ष पर हैं। अगर मौजूदा समय के हिसाब से गणना करें तो उन्होंने 7.60 लाख करोड़ रुपये दान किये थे। उनकी दानवीरता की कई कहानियां हैं। व्यापार और कारोबार के साथ जमशेदजी टाटा लोगों की भलाई का काम करते ही रहते थे।

1896 में उन्होंने बॉम्बे के गवर्नर को एक पत्र लिखा था जिसमें उन्होंने कहा कि अब वह पर्याप्त धन कमा चुके हैं और अब लोगों की मदद करना चाहते हैं। उन्होंने लिखा था कि कृषि प्रधान इस देश को अब औद्योगिक आधार की ज़रूरत है। उन्होंने अपनी कमाई का तिहाई हिस्सा दान करके एक इंस्टिट्यूट बनाया जिसे 1909 में इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ साइंस का नाम दिया गया।

1898 में ब्यूबोनिक प्लेग की वजह से बॉम्बे में बहुत सारे लोगों की जान चली गई। इस बीमारी की स्टडी करने के लिए जमशेदजी टाटा ने बड़ी पूंजी खर्च की। उन्होंने रूस के डॉक्टर की मदद की। ‘पारसी प्रकाश’ पुस्तक के मुताबिक सूरत में बाढ़ प्रभावित इलाकों में वह राहत सामग्री पहुंचवा रहे थे। इसके अलावा 1883 में इटली में आए भूकंप में भी उन्होंने लोगों की बढ़-चढ़कर मदद की।