दुनियाभर में धार्मिक मामलों में स्वतंत्रता की निगरानी करने वाली एक अमेरिकी कमीशन की रिपोर्ट में भारत को कंट्रीज ऑफ पर्टिकुलर कंसर्न (प्रमुख चिंता वाले देशों) की कतार में डाल दिया गया है। यूनाइटेड स्टेट्स कमीशन ऑन इंटरनेशनल रिलीजियस फ्रीडम (USCIRF) की इस लिस्ट में वे ही देश शामिल किए जाते हैं, जहां धार्मिक स्वतंत्रता का किसी तरह से उल्लंघन किया जा रहा हो। पाकिस्तान, चीन, ईरान, रूस, सऊदी अरब और उत्तर कोरिया पहले ही अमेरिकी कमीशन की लिस्ट का हिस्सा हैं।

USCIRF ने रिपोर्ट में भारत सरकार पर आरोप गया है कि देशभर में अभियानों के जरिए धार्मिक रूप से अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा और प्रताड़ना की संस्कृति बनाई गई है। कमीशन ने कहा है कि 2019 में भारतीय जनता पार्टी (BJP) के दोबारा सत्ता में आने के बाद से भारत में सरकार ने अपने मजबूत संसदीय बहुमत के जरिए राष्ट्रीय स्तर पर ऐसी नीतियां बनाई हैं, जिनसे पूरे देश में धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन जारी है। खासकर मुस्लिमों के खिलाफ।

रिपोर्ट में आगे कहा गया है, “गृह मंत्री अमित शाह ने प्रवासियों को खत्म किए जाने वाले दीमक तक कहा है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ प्रदर्शन करने वालों के खिलाफ बदला लेने की बात कही और कहा कि उन्हें बिरयानी नहीं गोली दी जाएगी।”

इसके अलावा रिपोर्ट में फरवरी में हुई दिल्ली हिंसा का भी जिक्र है। इसमें कहा गया है, “फरवरी 2020 में दिल्ली में तीन दिन तक हिंसा भड़की रही, इसमें भीड़ ने मुस्लिम इलाकों पर हमला किया। रिपोर्ट्स थीं कि इसमें गृह मंत्रालय के अंतर्गत काम करने वाली दिल्ली पुलिस हमले रोकने में नाकाम रही और खुद भी हिंसा में शामिल रही।”

भारत ने USCIRF की इस रिपोर्ट को सिरे से खारिज किया है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा, “हम USCIRF की भारत पर दी गई सालाना रिपोर्ट को खारिज करते हैं। भारत के खिलाफ इसकी पक्षपातपूर्ण टिप्पणियां नई नहीं हैं, लेकिन इस मौके पर कमीशन की गलतबयानी नए स्तर पर पहुंच गई है। अपनी कोशिशों में यह अपने कमिश्नर तक की सहमति नहीं हासिल कर पाई। हम इसे ऑर्गनाइजेशन ऑफ पर्टिकुलर कंसर्न (मुख्य चिंता वाला संस्थान) मानते हैं और इससे उसी तरह बर्ताव किया जाएगा।”

बताया गया है कि USCIRF की 9 सदस्यीय टीम के दो लोगों की तरफ से भारत का नाम इस लिस्ट पर डाले जाने पर मतभेद थे। वहीं, कमीशन के एक सदस्य ने भारत पर अपने निजी विचार रखे। यहां तक की कमीशन के चेयरमैन तेंजिन दोरजी ने भी USCIRF के फैसले पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा, “भारत न तो चीन और न ही उत्तर कोरिया जैसे तानाशाही शासनों की तरह है। भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है, जहां नागरिकता संशोधन कानून (CAA) तक को विपक्षी कांग्रेस पार्टी, सांसदों और सिविल सोसाइटी के लोगों द्वारा चुनौती दी जाती है।”

क्या है USCIRF?
अमेरिकी सरकार ने USCIRF की स्थापना 1998 में अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता कानून में कुछ कमजोरियों के बाद की थी। अमेरिकी विदेश मंत्रालय इस कमीशन के प्रस्ताव मानने के लिए बाध्य नहीं है। पारंपरिक तौर पर भारत USCIRF के विचारों को नहीं मानता और एक दशक से भी ज्यादा समय से इसके सदस्यों को भारत आने के लिए वीजा नहीं दिया गया है। गुजरात दंगों के बाद USCIRF ने भारत को कंट्रीज ऑफ पर्टिकुलर कंसर्न की लिस्ट में डाला था।