केंद्र सरकार ने प्रतिबंधित संगठन स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) पर लगे बैन को पांच साल के लिए और बढ़ा दिया है। गृह मंत्रालय की ओर से जारी अधिसूचना के अनुसार, अगर केंद्र सरकार सिमी की गैरकानूनी गतिविधियों पर रोक नहीं लगाई गई तो यह अपनी खतरनाक गतिविधियों को जारी रखेगा साथ ही अपने फरार साथियों को फिर से संगठित कर देश विरोधी भावनाओं को भड़का कर धर्मनिरपेक्ष ढांचे को नुकसान पहुंचाएगा। बता दें कि सिमी पर कई आतंकवादी गतिविधियों में शामिल होने का आरोप है।

बता दें कि सिमी पर लगे प्रतिबंध को और आगे बढ़ाने के लिए केंद्र द्वारा जारी अधिसूचना में कहा गया है, “गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम, 1967 की धारा 3 की उप-धाराएं (1) और (3) के तहत प्रदत्त शक्तियों का इस्तेमाल कर केंद्र सरकार ने सिमी को ‘गैर-कानूनी संगठन’ घोषित किया है और यह अधिसूचना उपरोक्त अधिनियम की धारा 4 के तहत किए जा सकने वाले किसी भी आदेश के अधीन है, जिसका प्रभाव पांच साल की अवधि के लिए होता है।” गौरतलब है कि इसके पूर्व यूपीए सरकार ने 1 फरवरी 2014 को सिमी पर पांच साल के लिए प्रतिबंध लगाया था। जिसके बाद अब गृह मंत्रालय की अधिसूचना के बाद सिमी पर फिर से प्रतिबंध लगाया गया है।

संगठन पर लगे हैं कई आरोप-  बता दें कि सिमी के ऊपर साल 2017 में गया विस्फोट, साल 2014 में बेंगलुरु के एम चिन्नास्वामी स्टेडियम में विस्फोट और साल 2014 में भोपाल जेलब्रेक कांड आदि में शामिल होने का आरोप लगा था। गौरतलब है कि मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, दिल्ली, तमिलनाडु, तेलंगाना और केरल की पुलिस द्वारा सिमी नेता सफदर नागौरी, अबू फैसल के खिलाफ कई मामले दर्ज किए जा चुके हैं।

सिमी की स्थापना और प्रतिबंध- इस संगठन की स्थापना 25 अप्रैल 1977 को उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में हुई थी। इस पर कथित रूप से भारत को इस्लामिक राज्य में परिवर्तित करके भारत को आजाद कराने के एजेंडे पर काम करने का आरोप है। इसे पहली बार 2001 में गैरकानूनी संगठन घोषित किया गया था और तब से इसे कई बार प्रतिबंधित किया गया है।