किसान आंदोलन के बावजूद पश्चिमी यूपी में सपा-रालोद गठबंधन का जोर नहीं चला। बीजेपी ने यहां बेहतरीन प्रदशर्न कर अखिलेश यादव और जयंत चौधरी की जुगलबंदी को नाकाम कर दिया। फिलहाल जयंत चौधरी ने पार्टी की सभी इकाइयों को भंग कर दिया है। 21 को रालोद की बैठक बुलाई गई है, जिसमें हार के कारणों की समीक्षा के साथ भविष्य की रणनीति को लेकर गहन मंथन किए जाने की संभावना है।
पश्चिमी उत्तर प्रदेश में रालोद ने 33 सीटों पर उम्मीदवार अपने उतारे थे। उनमें से आठ पर उसे जीत मिली। पिछली बार की अपेक्षा रालोद का प्रदर्शन काफी बेहतर रहा है। 2017 में सपा और कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव लड़ने वाली रालोद को केवल एक सीट मिली थी। जो विधायक जीता वो भी बाद में बीजेपी में चला गया था। इससे पार्टी शून्य पर चली गई थी। उस दौरान उसे मात्र 1.78 फीसदी वोट मिले थे। जबकि इस बार उसे करीब तीन फीसदी वोट मिले हैं।
पार्टी ने अपने ट्वीट में लिखा कि राष्ट्रीय लोकदल के राष्ट्रीय अध्यक्ष चौधरी जयंत सिंह जी के निर्देशानुसार राष्ट्रीय लोकदल उत्तर प्रदेश के प्रदेश, क्षेत्रीय और जिला व सभी फ्रंटल संगठनों को तत्काल प्रभाव से भंग किया जाता है। पार्टी की ओर से कहा गया कि 21 मार्च को दोपहर 12 बजे बैठक की जाएगी। ये मीटिंग लखनऊ में रालोद के प्रदेश कार्यालय पर होगी। खास बात है कि 21 को ही सपा ने भी अपने विधायकों को भी लखनऊ में बुलाया है। वो भी चुनाव को लेकर मंत्रणा करेंगे।
यूपी चुनाव में हालांकि इस दफा बीजेपी के लिए लड़ाई मुश्किल मानी जा रही थी। लेकिन परिणामों को देखकर नहीं लगता कि योगी और उनकी टीम को ज्यादा मशक्कत भी करनी पड़ी। कयास थे कि सपा-रालोद सरकार को कड़ी टक्कर देंगे। नतीजे बताते हैं कि अखिलेश और जयंत की जोड़ी कोई धमाल करने में नाकाम रही। जबकि बेरोजगारी के साथ सरकार की विभिन्न मोर्चों पर नाकामी के साथ किसान भी एक बड़ा मुद्दा थे।