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नागर शैली में तैयार हो रहा भव्य राम मंदिर

अयोध्या में भव्य राम मंदिर का निर्माण किया जा रहा है। तीन मंजिला राम मंदिर में हर मंजिल की ऊंचाई 20 फीट होगी। इसके ग्राउंड फ्लोर पर 160 खंभे होंगे वहीं राम मंदिर में कुल 392 खंभे होंगे। इसके अलावा राम मंदिर में कुल 44 भव्य और बड़े दरवाजे भी होंगे। मंदिर के ग्राउंड फ्लोर पर गर्भग्रह होगा। इसमें भगवान श्री राम के बाल स्वरूप के दर्शन होंगे। मंदिर की पहली मंजिल पर भगवान श्री राम का दरबार होगा। मंदिर की दूसरी मंजिल पर विशेष आयोजन किए जाएंगे। राम मंदिर के अलावा उसके चार कोनों पर चार और भव्य मंदिर भी होंगे। more-read-CTA

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Christopher Benninger
प्राण प्रतिष्ठा के लिए 22 जनवरी का ही दिन क्यों चुना गया

भगवान राम का जन्म अभिजीत मुहूर्त, मृगशीर्ष नक्षत्र, अमृत सिद्धि योग और सर्वार्थ सिद्धि योग के संगम पर हुआ था। ये सारे शुभ योग 22 जनवरी 2024 को एक फिर से साथ होंगे। प्राण प्रतिष्ठा के दिन हरि अर्थात् विष्णु मुहूर्त है, जो 41 साल बाद आया है। इसके अलावा सूर्योदय से पूरे दिन सर्वार्थ सिद्धि योग और अमृत सिद्धि योग रहेगा।

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Coomi Kapoor
किसने बनाई रामलला की मूर्ति

रामलला की मूर्ति कर्नाटक के प्रसिद्ध मूर्तिकार अरुण योगीराज ने बनाई है। वह प्रसिद्ध मूर्तिकार योगीराज शिल्पी के बेटे हैं। वह मैसूर महल के शिल्पकारों के परिवार से आते हैं। अरुण के पिता गायत्री और भुवनेश्वरी मंदिर के लिए भी कार्य कर चुके हैं। योगीराज सोशल मीडिया पर भी काफी सक्रिय रहते हैं। उन्होंने एमबीए तक की पढ़ाई की है। उन्होंने पढ़ाई के बाद एक कंपनी में नौकरी भी की। इससे पहले वह मैसूर में महाराजा जयचामराजेंद्र वडेयार की 14.5 फुट की सफेद संगमरमर की प्रतिमा, महाराजा श्री कृष्णराज वाडियार-IV और स्वामी रामकृष्ण परमहंस की सफेद संगमरमर की प्रतिमा भी बना चुके हैं। इंडिया गेट पर लगी नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा को भी उन्होंने ही तराशा है।

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India's Parliament
6 दिसंबर 1992 को क्या हुआ?
Chakshu Roy

1982 में विश्व हिंदू परिषद की ओर से राममंदिर निर्माण के लिए आंदोलन की शुरुआत की गई थी। कई सालों तक इसे लेकर आंदोलन जारी रहा। 9 नवंबर 1989 श्रीराम जन्मभूमि स्थल पर मंदिर के शिलान्यास की घोषणा की गई। तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने शिलान्यास की इजाजत दे दी। विश्व हिंदू परिषद और लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और उमा भारती जैसे बीजेपी के कई बड़े नेता अयोध्या में मौजूद थे। अयोध्या में सुबह से इस ढांचे के चारों ओर भीड़ जमा होने लगी। भीड़ से राम मंदिर आंदोलन के आयोजकों का नियंत्रण खत्म हो चुका था। लाखों की संख्या में अयोध्या में मौजूद कारसेवक विवादित ढांचे के ऊपर चढ़ गए और उसे तोड़ना शुरू कर दिया। कुछ ही घंटों में भीड़ ने विवादित ढांचे को गिरा दिया। इस घटना के बाद शाम को ही यूपी के तत्कालीन मुख्यमंत्री कल्याण सिंह ने इस्तीफा दे दिया।

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राम मंदिर के लिए क्या-कहां से आया

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    घंटा- जलेसर
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    ध्वजस्तंभ – सूरत
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    अगरबत्ती – वडोदरा
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    पत्थर- राजस्थान, कर्नाटक
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    सोने का दरवाजा – हैदराबाद
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    नगाड़ा – अहमदाबाद

राम मंदिर आंदोलन का पूरा इतिहास

  • 1526
    मुगल शासक बाबर पहली बार भारत आया।
  • 1528
    बाबर के सम्मान में मीर बाकी ने एक मस्जिद का निर्माण कराया। इस मस्जिद को बाबरी मस्जिद नाम दिया गया। यह ठीक उसी जगह पर बनाई गई जहां भगवान राम का जन्म हुआ था।
  • 1853
    मुगलों का शासन कमजोर होने पर पहली बार हिंदुओं ने राम जन्मभूमि का मामला उठाया। पहली बार यहां हिंदू और मुस्लिमों के बीच हिंसा हुई।
  • 1858
    अयोध्या परिसर में हवन और पूजन को लेकर पहली बार एफआईआर की गई। अयोध्या रिविजिटेड किताब के मुताबिक एक दिसंबर 1858 को अवध के थानेदार शीतल दुबे ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि परिसर में चबूतरा बना है। ये पहला कानूनी दस्तावेज है जिसमें परिसर के अंदर राम के प्रतीक होने के प्रमाण हैं। इसके बाद तारों की एक बाड़ खड़ी कर विवादित भूमि के आंतरिक और बाहरी परिसर में मुस्लिमों और हिंदुओं को अलग-अलग पूजा और नमाज की इजाजत दी गई।
  • 1885
    अंग्रेजों के शासनकाल में पहली बार यह मामला कोर्ट में पहुंचा। निर्मोही अखाड़े के महंत रघुवर दास ने तत्कालीन फैजाबाद अदालत में बाबरी मस्जिद से लगे राममंदिर निर्माण के लिए अनुमति मांगते हुए याचिका दाखिल की। दीवानी अदालत में दाखिल इस याचिका में बाबरी ढांचे के बाहरी आंगन में स्थित राम चबूतरे पर बने अस्थायी मंदिर को पक्का बनाने और छत डालने की मांग की। जज ने अपने फैसले में कहा कि वहां हिंदुओं को पूजा-अर्चना का अधिकार है, लेकिन वे जिलाधिकारी के फैसले के खिलाफ मंदिर को पक्का बनाने और छत डालने की अनुमति नहीं दे सकते।
  • 22 दिसंबर 1949
    आजादी के बाद मुख्य गुंबद के नीचे भगवान राम की मूर्ति प्रकट हुई। अब हिंदू यहां पर नियमित रूप से भगवान राम की पूजा करने लगे और मुस्लिमों ने यहां नमाज पढ़ना बंद कर दिया। बाद में सरकार ने यहां ताला लगा दिया।
  • 16 जनवरी 1950
    पहली बार सिविल जज फैजाबाद की अदालत में हिंदू महासभा के सदस्य गोपाल सिंह विशारद ने पहला मुकदमा दर्ज किया गया।
  • 5 दिसंबर 1950
    महंत रामचंद्र परमहंस ने ऐसी ही मांग करते हुए सिविल जज के यहां मुकदमा दर्ज कराया।
  • 3 मार्च 1951
    गोपाल सिंह विशारद मामले में न्यायालय ने मुस्लिम पक्ष को पूजा-अर्चना में बाधा न डालने की हिदायत दी। ऐसा ही आदेश परमहंस की तरफ से दायर मुकदमे में भी दिया गया।
  • 17 दिसंबर 1959
    रामानंद संप्रदाय की तरफ से निर्मोही अखाड़े के छह व्यक्तियों ने मुकदमा दायर कर इस स्थान पर अपना दावा ठोका। इसमें रिसीवर प्रियदत्त राम को हटाकर उन्हें पूजा-अर्चना की अनुमति देने की मांग की गई।
  • 18 दिसंबर 1961
    उत्तर प्रदेश के केंद्रीय सुन्नी वक्फ बोर्ड इस मामले में विवादित स्थल के मालिकाना हक के लिए मुकदमा दर्ज कराया।
  • 1982
    विश्व हिंदू परिषद (VHP) ने विवादित स्थल का ताला खोलने की मांग करते हुए एक विशाल मंदिर के निर्माण के लिए अभियान की शुरुआत की।
  • 8 अप्रैल 1984
    दिल्ली में संत-महात्माओं, हिंदू नेताओं ने अयोध्या के श्रीराम जन्मभूमि स्थल की मुक्ति और ताला खुलवाने को आंदोलन का फैसला किया।
  • 1 फरवरी 1986
    फैजाबाद जिला न्यायाधीश ने विवादित स्थल पर हिंदुओं को पूजा करने की इजाजत दी। इसके बाद विवादित ढांचे का ताला दोबारा खोल दिया गया। इस फैसले से नाराज होकर मुसलमानों ने विरोध में बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी का गठन किया।
  • जनवरी 1989
    प्रयाग में कुंभ मेले के दौरान मंदिर निर्माण के लिए गांव-गांव शिला पूजन कराने का फैसला हुआ।
  • 1 जुलाई 1989
    भगवान रामलला विराजमान नाम से पांचवां मुकदमा दर्ज किया गया।
  • 9 नवंबर 1989
    श्रीराम जन्मभूमि स्थल पर मंदिर के शिलान्यास की घोषणा की गई। तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने शिलान्यास की इजाजत दे दी।
  • 6 दिसंबर 1992
    हजारों की संख्या में कारसेवक अयोध्या पहुंचे और आयोजकों का भीड़ पर से नियंत्रण खत्म हो गया। कारसेवकों ने विवादित ढांचे को गिरा दिया। इसकी जगह इसी दिन शाम को अस्थायी मंदिर बनाकर पूजा-अर्चना शुरू कर दी। तत्कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव ने कल्याण सिंह की सरकार को बर्खास्त कर दिया।
  • 8 दिसंबर 1992
    पूरे अयोध्या में कर्फ्यू लगा दिया गया। वकील हरिशंकर जैन ने उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ में गुहार लगाई कि भगवान भूखे हैं। इसलिए भोग की अनुमति दी जाए।
  • 1 जनवरी 1993
    न्यायाधीश हरिनाथ तिलहरी ने रामलला के दर्शन-पूजन की अनुमति दे दी।
  • 7 जनवरी 1993
    केंद्र सरकार ने ढांचे वाले स्थान और कल्याण सिंह सरकार द्वारा न्यास को दी गई भूमि सहित यहां पर कुल 67 एकड़ भूमि का अधिग्रहण कर लिया।
  • अप्रैल 2002
    विवादित स्थल पर मालिकाना हक को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट के तीन जजों की पीठ ने सुनवाई शुरू की।
  • 5 मार्च 2003
    हाईकोर्ट ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) को संबंधित स्थल पर खुदाई का निर्देश दिया। 22 अगस्त 2003 को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने न्यायालय को रिपोर्ट सौंपी। इसमें संबंधित स्थल पर जमीन के नीचे एक विशाल हिंदू धार्मिक ढांचा (मंदिर) होने की बात कही गई।
  • 30 सितंबर 2010
    इलादाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने ने इस मामले में ऐतिहासिक फैसला सुनाया।विवादित स्थल को तीन बराबर हिस्सों में सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और राम लला में बांटा गया। न्यायाधीशों ने बीच वाले गुंबद के नीचे जहां मूर्तियां थीं, उसे जन्मस्थान माना।
  • 21 मार्च 2017
    सुप्रीम कोर्ट ने रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद में मध्यस्थता की पेशकश की। चीफ जस्टिस जेएस खेहर ने दोनों पक्षों के कहा कि अगर वह राजी हों तो वह कोर्ट के बाहर मध्यस्थता के लिए भी तैयार हैं।
  • 8 फरवरी 2018
    सुप्रीम कोर्ट में राम मंदिर-बाबरी मस्जिद विवादित स्थल के लिए सिविल अपील पर सुनवाई शुरू हुई।
  • 27 सितंबर 2018
    सुप्रीम कोर्ट ने मामले को पांच जजों की संविधान पीठ को भेजने से इनकार कर दिया। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने तीन जजों की एक नई संविधान बेंच बनाई।
  • 8 जनवरी 2019
    सुप्रीम कोर्ट ने पांच जजों की एक संविधान पीठ बनाई, जिसका नेतृत्व मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने किया। इसमें चार अन्य जज जस्टिस यूयू ललित, जस्टिस एसए बोबड़े, जस्टिस एनवी रमना और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ थे।
  • 6 अगस्त 2019
    सर्वोच्च न्यायालय ने प्रतिदिन सुनवाई शुरू हुई।
  • 16 अक्तूबर 2019
    करीब 40 दिनों तक लगातार सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया।
  • 9 नवंबर 2019
    सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए राम जन्मभूमि की पूरी 2.77 एकड़ जमीन भगवान राम लला को देने का फैसला सुनाया। वहीं सरकार को आदेश दिया कि वह मुस्लिमों को मस्जिद बनाने के लिए 5 एकड़ जमीन किसी अच्छी जगह पर दें।
  • 5 फरवरी 2020
    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अयोध्या में मंदिर निर्माण के लिए राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की घोषणा की।
  • 5 अगस्त 2020
    अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि पर भव्य मंदिर के निर्माण के लिए भूमि पूजन किया गया। इसमें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी शामिल हुए।
  • 22 जनवरी 2024
    अयोध्या में राममंदिर का उद्घाटन और मूर्तियों की प्राण प्रतिष्ठा होगी।

राम मंदिर खबरें

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