Mere Sai 12th August Preview/Written Episode Update: सोनी पर प्रसारित होने वाले धारावाहिक मेरे साईं श्रद्धा और सबूरी को दर्शकों का बेहद प्यार मिल रहा है। भक्ति-भाव से परिपूर्ण इस धारावाहिक का एक भी एपिसोड छोड़ना दर्शक पसंद नहीं करते। अगर किसी कारण से बीता हुआ एपिसोड आप नहीं देख पाएं हैं तो दुखी होने की जरूरत नहीं है, क्योंकि यहां हम आपको बताएंगे कि आपके पसंदीदा सीरियल के पिछले एपिसोड में क्या हुआ और आगे क्या होने वाला है। सबसे पहले बात करेंगे आने वाले एपिसोड के बारे में जिसमें आप देखेंगे कि साईं अपने भक्तों को वो ईंट दिखाते हैं जिससे उन्हें सबसे अधिक लगाव है। वो कहते हैं कि वो उससे जुड़े हुए हैं। उसके बाद बाईजा मां उनसे जिद करती है कि शिरडी आने से पहले वो कहां थें और क्या करते थें इस बात के पर प्रकाश डालें।

बीते एपिसोड की बात करें तो रघुनाथ जब भगवान के कंगन ढूंढ़ने के लिए मिट्टी खोदता है तो वहां फूल देखकर अचंभित हो जाता है। मंदिर नें कंगन और बीज देखकर उसे साईं को कही गई बात याद आती है कि वो मंदिर में पहली बार पूजा करने की यादगारी में बीज बो रहा है। अचानक ही उसे लगता है कि साईं को कही गई सारी झूठी बातें सच हो रही हैं। वो ये सब सोच ही रहा होता है कि तभी भीमा म्हालसपति को बुलाने आ जाता है और रघुनाथ छुप जाता है। भीमा म्हालसपति से कहता है कि शिरडी के लोग साईं का प्रवचन सुनने द्वारकामयी जाने वाले हैं और उसे भी जाना चाहिए। म्हालसपति मान जाता है, रघुनाथ दूसरी तरफ से आता है और कहता है कि पूजा की सारी तैयारियां वो स्वयं करेगा। वो सोचता है कि जब सभी लोग साईं के प्रवचन सुनने में व्यस्त होंगे तब वो जाकर मंदिर से कंगन चुरा लेगा।

रात में तात्या, भीमा और अली पूजा की सामाग्री लेकर आते हैं। रघुनाथ म्हालसपति और यमुना के साथ आता है। साईं उसे हमेशा अच्छे कर्म करते रहने का आशीर्वाद देते हैं। वो साईं का झोला देखने जाता है जिसपर झिपड़ी उसे रोकते हुए कहती है कि उसे छूने की आजादी साईं के अलावा किसी को नहीं है। इधर, साईं अपने भक्तों को समुद्रमंथन की कहानी सुनाते हैं वहीं दूसरी तरफ रघुनाथ मंदिर में घुसते हुए सोचता है कि शिरडी के लोग कितने बेवकूफ हैं इतनी गलतियां करने के बावजूद वो लोग उसका असली चेहरा नहीं देख पाएं।

लाख कोशिशों के बाद भी जब रघुनाथ कंगन चुराने में असफल रहा तो उसे गांववालों पर गुस्सा आता है। वो सोचता है कि जरूर लोगों ने ही कंगन कहीं छुपा दिया है। प्रवचन के अंत में साईं भक्तों से कहते हैं कि स्वर्भान हो या रावण समान विद्वान कोई भी व्यक्ति ज्यादा समय तक किसी को बेवकूफ नहीं बना सकता। आखिर में सच्चाई सबके सामने आ ही जाती है।