Vighnaraja Sankashti Chaturthi Shubh Muhurt: विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी का शास्त्रों में विशेष महत्व बताया गया है। वैदिक पंचांग के अनुसार यह हर साल आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाई जाती है। जो इस साल 13 सितंबर को पड़ रही है। इस दिन भगवान गणेश की पूजा- अर्चना की जाती है। मान्यता है जो भी व्यक्ति इस दिन व्रत रखता है उसके सभी कष्ट भगवान गणेश दूर करते हैं। साथ ही इस दिन गणपती जी को उनकी प्रिय चीजें अर्पित करने से मनोवांछित फलों की प्राप्ति होती है। वहीं इस दिन दो शुभ योग भी इस दिन बन रहे हैं। इसलिए इस बार की विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी का महत्व और भी बढ़ गया है।

जानिए चतुर्थी तिथि

ज्योतिष पंचांग के मुताबिक आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 13 सितंबर दिन मंगलवार को सुबह 10 बजकर 36 मिनट से शुरू हो रही है और अगले दिन 14 सितंबर को सुबह 10 बजकर 22 मिनट पर समाप्त हो जाएगी।

आइए जानते हैं शुभ मुहूर्त

शास्त्रों के अनुसार चतुर्थी तिथि में ही रात को चंद्रमा की पूजा की जाती है। इसलिए विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी व्रत 13 सितंबर दिन मंगलवार को ही रखा जाएगा। इस दिन चंद्रोदय रात 08 बजकर 25 मिनट पर होगा। वहीं जो व्रती होंगे वे लोग चंद्रोदय होने पर चंद्रमा की पूजा कर जल अर्पित करें। उसके बाद व्रत का पारण करें।

बन रहे हैं ये विशेष योग

वैदिक पंचांग के अनुसार इस दिन सुबह 7.36 मिनट तक वृद्धि योग रहेगा और इसके बाद ध्रुव योग शुरू हो जाएगा। इस दिन सुबह 06 बजकर 35 मिनट से लेकर अगले दिन सुबह 06 बजकर 04 मिनट तक सर्वार्थसिद्धि योग भी रहेगा। इस बीच अमृत योग भी रहने वाला है। इन सब योगों में पूजा का दोगुना फल प्राप्त होता है। साथ ही सर्वार्थसिद्धि योग में कार्य सिद्ध हो जाता है।

जानिए पूजा- विधि

विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी के दिन सुबह जल्दी उठ जाएं और साफ- सुथरे कपड़े पहन लें। इसके बाद पूजा स्थल पर एक चौकी पर पीला कपड़ा विछाएं। गणपति की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें। इसके बाद गणेश को अक्षत, धूप, दीप, कपूर, लौंग और दूर्वा अर्पित करें। इसके बाद उन्हें लड्डू का भोग लगाएं। दुर्वा और लड्डु गणपति को बहुत प्रिय हैं। इसलिए इन दोनों चीजों को जरूर अर्पित करें।